छात्रों को मिलीं डिग्रियां: डा. सी.एस.मीना थे मुख्य मेहमान
साधना जब सफल होती है और उसे मान्यता मिलती है तो साधना मार्ग में आये हुए सभी कष्ट भूल जाते हैं और दिलो दिमाग में रह जाती है एक ख़ुशी जिसकी बराबरी दुनिया के किसी भी सुख सुविधा में सम्भव ही नहीं होती. यह ख़ुशी व्यक्ति के अंग अंग से बोलती है. इस ख़ुशी की चमक आज फिर दिखाई दी लुधियाना में उन चात्रयों के चेहरों पर जिन्हें आज उच्च शिक्षा की डिग्री मिली.
शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग स्थान रखने वाले देवकी देवी जैन मैमोरियल कालेज फार विमेन की कन्वोकेशन आज बहुत ही उत्साह, हर्षो उल्लास और पारंपरिक जोशो खरोश से सम्पन्न हुयी. छात्रायों के चेहरे पर एक चमक थी, उपलब्धी की, एक अलौकिक सी दिखने वाली ख़ुशी थी जो बता रही थी उनकी मेहनत और शिक्षा साधना की पूरी कहानी. विश्व विधालय अनुदान आयोग के संयुक्त सचिव डाक्टर सी .एस.मीना इस यादगारी अवसर पर मुख्य मेहमान थे.
कालेज के चेयरमैन हीरा लाल जैन, अध्यक्ष केदार नाथ जैन, वरिशाथ उपाध्यक्ष राज कुमार जैन और शांति सरूप जैन, प्रबन्धक कमेरी के सचिव बिपिन जैन, मैनेजर सुरिन्दर कुमार जैन और अफिशिएटिंग प्रिंसिपल सुरिन्दर दूया भी इस अवसर मर मौजूद रहे.
प्रिंसिपल मैडम ने जहाँ कालेज की खूबियों और उपलब्धियों की चर्चा की वहां चात्रयों और उनके माता पिता की प्रेरणा और मेहनत को भी सराहा. उनहोंने इस अवसर पर अपने उन सहयोगियों को भी बहुत ही स्नेह और समान से याद किया जो किसी समय उनके साथ इसी कालेज में अध्यापन करते थे पर अचानक ही ज़िन्दगी की राहें जुदा होने के बाद भी उनका विकास जारी रहा और साथ ही बना रहा कालेज के साथ उनका स्नेह सम्बन्ध. आज वे बहुत उच्च पदों पर या फिर सफलता के शिखरों पर कार्य कर रहे हैं पर इतने ऊंचे मुकाम पर जाकर भी वे लोग अपने इस कालेज को नहीं भूले.. इस तरह के लोगों में से एक डाक्टर परम सैनी भी आज कन्वोकेशन के सुअवसर पर यहाँ मौजूद थे जिन्हें प्रिंसिपल मैडम ने उसी पुराने स्नेह के साथ पम्मी मैडम कह कर पुकारा. पौने चार सो से अधिक छात्रायों ने अपनी मेहनत और साधना को डिग्री के रूप में मिली मान्यता का सम्मान लेकर इस दिन को अपनी ज़िन्दगी का एक यादगारी दिन बनाया. इन छात्रायों ने मीडिया से बात करते हुए भी कहा की उन्हें आज अपनी साधना पर गर्व है और ऐसे लगता है कि जैसे उनकी ग्रैजूएशन की शिक्षा आज मुकम्मल हुयी है. इस शुभ अवसर पर किसी के चेहरे पर हंसी थी तो किसी की आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे. यह यादगारी आयोजन बाद दोपहर तक जारी रहा.-रेक्टर कथूरिया
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