08-मार्च-2013 16:14 IST
राष्ट्रपति ने जारी किया साहिर लुधियानवी पर स्मृति डाक टिकट
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में स्वर्गीय साहिर लुधियानवी की जयंती (8 मार्च, 2013) पर स्मृति डाक टिकट जारी किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि स्वर्गीय साहिर लुधियानवी मुख्य रूप से एक ऐसे शायर के रूप में प्रसिद्ध थे जो आम आदमी की रोज़मर्रा जीवन से जुड़ी परेशानियों और उनके सब्र के इम्तिहान के बारे में लिखते थे। प्रेम और सुंदरता पर अपनी रचनाओं के कारण उन्होंने युवाओं के बीच भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने समकालीन दौर के मूल्यों और सामाजिक चिंताओं को बेहद संवेदशीलता के साथ लिखा था।
राष्ट्रपति ने कहा कि उर्दू शायरी को फिल्मों में इस्तेमाल करना साहिर लुधियानवी के महानतम योगदान में से एक है। उन्होंने फिल्म लेखक संघ के ज़रिए गीतकारों की पहचान के लिए भी लड़ाई लड़ी। श्री मुखर्जी ने कहा कि उनके निधन के 33 साल बाद उनकी जयंती पर स्मृति डाक टिकट जारी किया जाना इस बात का सबूत है कि अपनी शायरी और अपने गीतों के जरिए वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री कपिल सिब्बल तथा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी भी उपस्थित थे। (PIB)
वि.कासोटिया/प्रियंका/संजना-1165
साहिर के शहर से........ .....ساحر کے شہر سے ·
जनाब साहिर लुधियानवी साहिब की एक प्रसिद्ध रचना
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
ये कूचे ये नीलामघर दिलकशी के
ये लुटते हुये कारवाँ ज़िन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ है, मुहाफ़िज़ ख़ुदी के *
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
ये पुरपेच गलियाँ, ये बदनाम बाज़ार *
ये ग़ुमनाम राही, ये सिक्कों की झन्कार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार *
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
ये सदियों से बेख्वाब, सहमी सी गलियाँ
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियाँ *
ये बिकती हुई खोखली रंगरलियाँ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन *
थकी-हारी साँसों पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में खाँसी की ठन-ठन
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख फ़िकरे *
ये ढलके बदन और ये बीमार चेहरे
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
यहाँ पीर भी आ चुके हैं जवाँ भी
तनोमंद बेटे भी अब्बा मियाँ भी *
ये बीवी भी है और बहन भी है माँ भी
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
मदद चाहती है ये हौवा की बेटी *
यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी *
पयम्बर की उम्मत, जुलेखा की बेटी *
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
ज़रा मुल्क के रहबरों को बुलाओ
ये गलियाँ ये मंजर दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर उनको लाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …