Photo Courtesy:Sara Tariq |
दर्शकों के मन में हनुमान जी की छवि बनने के बाद दारा सिंह जी भी धर्म कर्म में बहुत रुचि लेने लगे। शायद यही कारण है कि दर्शक उनमें हनुमान जी को ही देखने लगे। पहले पहले मुझे लगता था की शायद इस तरह के सात्विक किस्म के लोग तामसिक प्रवृतियों से भरी फ़िल्मी दुनिया में सफल नहीं हो सकेंगे। पर इन सबकी सफलता देख कर दुनिया के साथ साथ मैं खुद भी हैरान रह गया। पंजाबी फ़िल्मी दुनिया के महारथी भाग सिंह ने किस तरह अपनी बेटी बरखा को पत्रकारिता की बारीकियों से अवगत करा कर एक कुआलिफाईड पत्रकार बनाया। अभिनय में नई जान डालने
लुधियाना का गौरव सग्गी |
आज अचानक यह सब कुछ मुझे याद आ रहा है एक नए युवा चेहरे को देख कर। लुधियाना का गौरव सग्गी भी फ़िल्मी दुनिया को समर्पित है लेकिन पूरी तरह सात्विक रहते हुए। तकरीबन तकरीबन हर रोज़ उपवास, हर रोज़ पूजा पाठ, हर रात्रि मेडिटेशन। सोने में चाहे आधी रात हो जाये लेकिनउठना वही रात को दो बजे और ठंडे पानी से नहा कर रम जाना पूजा पाठ में। मेडिटेशन, रियाज़ या फिर शूटिंग, रिकार्डिंग या कोई और परफोर्मेंस बस यही है गौरव की दिनचर्या। मैंने कभी गौरव को आम लडकों की तरह इधर उधर आलतू फालतू बातों में नहीं देखा। लुधियाना से मुम्बई और मुम्बई से विदेश तक यही है उसका लाइफ स्टाइल।
कहते हैं धरती गोल भी है बहुत छोटी भी। बस इसी सिद्धांत पर एक बार हमारी मुलाकात पठानकोट में हुई। सुबह मूंह अँधेरे से लेकर देर शाम तक हम एक साथ रहे। यह सब किसी प्रोजेक्ट को लेकर था और इसके बारे में वहां शायद किसी को खबर भी नहीं थी लेकिन हमें वहां बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के जाना पड़ा एक ही आयोजन में। हम सब ने जलपान किया लेकिन गौरव का उपवास था। खाना तो दूर जल या चाये की एक बूँद भी नहीं। अचानक ही मेरे सामने किसी आयोजक ने मंच पर गौरव का नाम अनाऊंस करवा दिया और उसके बाद कमरे में आ कर कहा कि अब आप मंच पर आ जाइये अगली बारी आपकी है। सुन कर मुझे चिंता हुई। मुझे मालूम था कि गौरव ने सुबह से कुछ नहीं खाया।
चाये या पानी का एक घूँट भी नहीं। मुझे लगा कि शायद यह लड़का कहीं मंच पर गिर न पड़े। इसके साथ ही न वहां गौरव की टीम थी न ह साज़ और संगीत का पर्याप्त प्रबंध। पर गौरव के चेहरे पर न चिंता, न डर, न ही घबराहट। आशंकित मन के साथ कुछ ही पलों के बाद मैं भी पीछे पीछे बाहर बने मंच पर चला गया।वहां मेरे देखते ही देखते गौरव ने भगवान् का नाम लेकर अपना गायन शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वहां मौजूद सभी लोग पहले तो मस्त हुए फिर उठ कर गौरव के साथ साथ झूमने लगे।मुझे वह दिन अब भी याद आता है तो मुझे फिर फिर हैरानी होने लगती है। सुबह से लेकर रात तक मैंने गौरव पर से आँख नहीं हटाई तां कि वह छुप कर कहीं कुछ खा तो नहीं रहा पर सचमुच उसने सारा दिन कुछ नहीं खाया-पीया। मुझे लगता है कि इस के बावजूद इतनी अच्छी परफारमेंस किसी दैवी शक्ति से ही संभव हो सकी। गौरतलब है की मेडिटेशन करने वालों की कार्यक्षमता अक्सर बढ़ जाती है। मन की शक्ति एकाग्र हो जाने से उनकी योग्यता विकसित होती है।यही कारण है गौरव एक्टिंग में भी काम कर रहा है और गीत संगीत में भी। इसके साथ ही कैमरे की बारीकियों को भी वह बहुत ही अच्छी तरह से समझता है। अपनी लोकप्रिय एल्बम "रब दा सहारा" में उसने गायन और अभिनय दोनों में अपना जादू दिखाया है। आखिर में एक बात और इस सबके लिए वह अपने पिता अश्विनी सग्गी और माता के आशीर्वाद को ही एक वरदान मानता है।-रेक्टर कथूरिया
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