गुरुवार, अगस्त 22, 2013

बीएसएनएल मुलाजिम फिर हडताल को मजबूर ?

बुधवार से बजाया हडताल का बिगुल
लुधियाना:21 अगस्त 2013:(साहिर के शहर से//रेक्टर कथूरिया): अपनी मांगों पर जोर देने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड के कर्मचारी एक बार फिर संघर्ष की राह पर हैं। बीएसएनएल इंप्लाइज यूनियन एंड नेशनल फेडरेशन के सदस्यों ने बुधवार को अपनी मांगों को लेकर बड़े हो जोशो खरोश से तीन दिवसीय हड़ताल की शुरुआत की। इस दौरान इन मुलाज़िमों ने अपनी मांगों को लेकर मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की और इस मुद्दे पर अपनी एकजुटता का सबूत दिया।
 इस बार भी इन संघर्षशील मुलाज़िमों को न तो कड़कती धुप की कोई चिंता थी और न ही बार बार घिर  कर बरसात करते बादलों की। ये मुलाजिम अपनी ही धुन में मग्न थे और याद दिल रहे थे अपने इरादों की-जैसे कह रहे हों-हर जोर-ज़ुल्म की टक्कर में हडताल हमारा नारा है !  यूनियन के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेट्री बलविंदर सिंह ने कहा कि मैनेजमेंट द्वारा उन्हें दी जाने वाली एटीसी व मेडिकल सुविधा में उनकी मांग के अनुसार मसौदा तैयार नहीं किया गया इस लिए वे मजबूर होकर हडताल की राह पर उतरे हैं। 
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बंद किया पांचवा मेडिकल शुरू हो, पीएलआइ बोनस दिया जाए, 1-1-2007 के बाद भर्ती किए गए कर्मचारियों की वेतन बढ़ाया जाए, कर्मचारियों को ईएसआइ और आइकार्ड की सुविधा दी जाए, कर्मचारियों में किसी तरह की कोई छंटनी न की जाए, आदि उनकी मांगें हैं। मुलाजिम नेता बलविंदर सिंह ने कहा कि जबतक मैनेजमेंट उनकी मांगे नहीं मानेगी, तब तक धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। हम अपनी मांगें मनवाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। 
इस मौके पर बुध सिंह, परमीत सिंह, अवतार सिंह जंडे, अमरजीत चंदर, जसवंत सिंह, गुरचरण सिंह, सुरिंदर सिंह, सुरजीत सिंह, तजिंदर सिंह, प्रेम सिंह, सुदेश जोशी, अमरीक सिंह, सुरजीत सिंह, भगवंत सिंह, आरपी जाहू, विजय वर्मा, मोहिंदर सिंह, मलकीत चंद व यूनियन के बहुत से अन्य नेता व सक्रिय सदस्य भी मौजूद थे। अब देखते हैं कि सरकार के दरबार में इनकी सुनवाई कब होती है और कब होता है इनकी जीत का जश्न ?
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शनिवार, मार्च 09, 2013

निधन के 33 साल बाद डाक टिकट जारी

08-मार्च-2013 16:14 IST
राष्‍ट्रपति ने जारी किया साहिर लुधियानवी पर स्‍मृति डाक टिकट
भारत के राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्‍ट्रपति भवन में स्‍वर्गीय साहिर लुधियानवी की जयंती (8 मार्च, 2013) पर स्‍मृति डाक टिकट जारी किया। 

इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि स्‍वर्गीय साहिर लुधियानवी मुख्‍य रूप से एक ऐसे शायर के रूप में प्रसिद्ध थे जो आम आदमी की रोज़मर्रा जीवन से जुड़ी परेशानियों और उनके सब्र के इम्तिहान के बारे में लिखते थे। प्रेम और सुंदरता पर अपनी रचनाओं के कारण उन्‍होंने युवाओं के बीच भी अपनी पहचान बनाई। उन्‍होंने समकालीन दौर के मूल्‍यों और सामाजिक चिंताओं को बेहद संवेदशीलता के साथ लिखा था। 

राष्‍ट्रपति ने कहा कि उर्दू शायरी को फिल्‍मों में इस्‍तेमाल करना साहिर लुधियानवी के महानतम योगदान में से एक है। उन्‍होंने फिल्‍म लेखक संघ के ज़रिए गीतकारों की पहचान के लिए भी लड़ाई लड़ी। श्री मुखर्जी ने कहा कि उनके निधन के 33 साल बाद उनकी जयंती पर स्‍मृति डाक टिकट जारी किया जाना इस बात का सबूत है कि अपनी शायरी और अपने गीतों के जरिए वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। 

इस अवसर पर केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री कपिल सिब्‍बल तथा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी भी उपस्थित थे। (PIB)

वि.कासोटिया/प्रियंका/संजना-1165

साहिर के शहर से........ .....ساحر کے شہر سے  ·

शुक्रवार, मार्च 08, 2013

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर

जनाब साहिर लुधियानवी साहिब की एक प्रसिद्ध रचना 
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …
ये कूचे ये नीलामघर दिलकशी के
ये लुटते हुये कारवाँ ज़िन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ है, मुहाफ़िज़ ख़ुदी के *
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

ये पुरपेच गलियाँ, ये बदनाम बाज़ार *
ये ग़ुमनाम राही, ये सिक्कों की झन्कार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार *
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

ये सदियों से बेख्वाब, सहमी सी गलियाँ
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियाँ *
ये बिकती हुई खोखली रंगरलियाँ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन *
थकी-हारी साँसों पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में खाँसी की ठन-ठन
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख फ़िकरे *
ये ढलके बदन और ये बीमार चेहरे
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

यहाँ पीर भी आ चुके हैं जवाँ भी
तनोमंद बेटे भी अब्बा मियाँ भी *
ये बीवी भी है और बहन भी है माँ भी
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

मदद चाहती है ये हौवा की बेटी *
यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी *
पयम्बर की उम्मत, जुलेखा की बेटी *
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …

ज़रा मुल्क के रहबरों को बुलाओ
ये गलियाँ ये मंजर दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर उनको लाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं …